चुनाव आयोग का फैसला दलित विरोधी:बहन कु. मायावती जी
प्रतिमाएं ढकने के चुनाव आयोग के फैसले को बहन कु. मायावती जी ने दलित विरोधी बताया है। उन्होंने कहा-’जिस तरह आयोग ने एकतरफा निर्णय लिया है। उसे हमारी पार्टी के मूवमेंट से जुड़े बुद्धिजीवी व सर्वसमाज के लोग जातिवादी व दलित विरोधी मानसिकता से ग्रस्त होकर लिया गया फैसला बता रहे हैं।’ उन्होंने ने कहा की कि इस फैसले से बसपा को लाभ हुआ है। पार्टी को करोड़ों रुपये का प्रचार मुफ्त में मिल गया। इसके लिए उन्होंने विपक्षी दलों की चुटकी भी ली-’ कुदरत विपक्षी दलों को हमेशा ऐसी सद्बुद्धि देती रहे।’अपने जन्मदिन पर पार्टी के 403 प्रत्याशियों की सूची और घोषणापत्र के रूप में ‘वोट देने की अपील’ जारी करने के बाद पत्रकारों से मुखातिब बहन कु. मायावती जी ने कहा-’प्रतिमाओं को ढकने के आयोग के आदेश से बसपा के लोग गुस्से से भरे हैं। वे पूरी ऊर्जा के साथ पार्टी को कामयाब बनाने में लग गए हैं। बसपा का नया चुनावी नारा है, खुला हाथी लाख का, बंद हाथी सवा लाख का। यदि चुनाव आयोग इस मामले में सही फैसला नहीं लेता तो हमारी पार्टी के लोग इसे कांग्रेस सरकार के दबाव में लिया गया फैसला मानकर चलेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी ने आयोग को पत्र भेजकर प्रतिमाओं पर पर्दा डालने के आदेश पर पुनर्विचार करने को कहा था, जिस पर आयोग ने शनिवार रात को चेतावनी के रूप में हमें जवाब भेजा है। हमने भी तथ्यों के साथ रविवार को आयोग को जवाब भेज कर निष्पक्ष चुनाव कराने का अनुरोध किया है।’
बहन कु. मायावती जी ने कहा कि स्वागत मुद्रा में लगाई गई हाथी की मूर्तियां इन स्थलों को देखने के लिए आने वाले दर्शकों व पर्यटकों के स्वागत के लिए लगाई गई है, न कि बसपा के चुनाव चिह्न की वजह से। मुख्यमंत्री ने कहा भारतीय संस्कृति में देवी- देवताओं के ‘हाथ’ कांग्रेस के चुनाव चिन्ह ‘हाथ का पंजा’ के रूप में देखने को मिलते हैं। भाजपा का चुनाव चिह्न कमल का फूल है। चंडीगढ़ में कांग्रेस सरकार ने सैकड़ों एकड़ का एक पार्क बनाकर उसमें एक घूमता हुआ 45 फुट ऊंचा और 50 टन का अपनी पार्टी का चुनाव चिह्न ‘हाथ का पंजा’ लगवाया है। उत्तर प्रदेश में तो सरकारी धन से हैंडपंप लगवाए गए हैं जो राष्ट्रीय लोकदल के चुनाव चिह्न हैं। आयोग को इसे भी ढकवाना चाहिए। अन्यथा हम यह मानेंगे कि आयोग ने केंद्र की दलित विरोधी मानसिकता वाली कांग्रेस सरकार के दबाव में आकर फैसला किया है।
बहन कु. मायावती जी ने कहा की अपनी मूर्तियों को उन्होंने कांशीराम की लिखित इच्छा [वसीयत] से जोड़ते हुए कहा कि इन्हें ढक कर कांशीराम का अपमान किया गया है। नौ अक्टूबर 2006 को मान्यवर श्री कांशीराम की मृत्यु पर राष्ट्रीय तथा राजकीय शोक न घोषित करने का मामला उठाते हुए उन्होंने विरोधी दलों पर निशाना साधा। कहा कि इसके लिए हमारी पार्टी के लोग कांग्रेस और सपा को कभी माफ नहीं करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने आयोग द्वारा हटाए गए दो दलित अधिकारियों का मुद्दा भी उठाया।
बसपा प्रमुख ने रविवार को अपनी पुस्तक ‘मेरे संघर्षमय जीवन एवं बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा’ के सातवें भाग को भी जारी किया। इसमें बीते एक वर्ष में पार्टी के समक्ष आने वाली चुनौतियों और उनका सामना करने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व पंजाब में पार्टी अकेले अपने बलबूते पर सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
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