उर्वशी गिरफ्तारी मामले में लखनऊ पुलिस के बाद मजिस्ट्रेट पर लगा आपराधिक
साजिश, जालसाजी और पत्रावली गायब करने का संगीन आरोप l
लखनऊ/25 जुलाई 2016......
‘आरटीआई भवन’ का उद्घाटन करने के लिए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के लखनऊ
आगमन से एक दिन पहले बीते 10 जुलाई की देर रात लखनऊ पुलिस द्वारा
प्रतिष्ठित समाजसेविका उर्वशी शर्मा की गिरफ्तारी का मामला लखनऊ के पुलिस
और प्रशासनिक अधिकारियों के गले की फाँस बनता दिखाई दे रहा है l पुलिस
द्वारा झूठ बोलकर छल-प्रपंच द्वारा सीआरपीसी की धारा 46(4) के खिलाफ
उर्वशी को देर रात गिरफ्तार करने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
ने लखनऊ पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू की ही थी कि इसी बीच
उर्वशी ने लखनऊ के अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) संजय कुमार पाण्डेय पर
भी पुलिस के साथ मिलकर उनके खिलाफ महिला विरोधी मानसिकता के तहत आपराधिक
साजिश करने, गिरफ्तारी और जमानत के रिकॉर्ड में हेराफेरी करने,
पत्रावली गायब करने, कूटरचित पत्रावली तैयार करने जैसे संगीन आरोप लगाकर
यूपी के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक के साथ-साथ लखनऊ
के डीएम और एसएसपी को पत्र लिखकर मामले में उच्चस्तरीय जांच कराने और
पुलिस-प्रशासन के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय
कार्यवाही करने और एफ.आई.आर. लिखाकर विधिक कार्यवाही कराने की मांग की है
l
समाजसेविका उर्वशी ने अपने पत्र में उनको व उनके परिवार को लखनऊ की
पुलिस व प्रशासन से गंभीर खतरा बताते हुए उनको व उनके परिवार को निःशुल्क
सुरक्षा देने और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर विधिविरुद्ध रीति से उनकी
स्वतंत्रता को वाधित करने और उनकी मानहानि करने के एवज में उनको 10 करोड़
रुपयों की क्षतिपूर्ति देने की मांग भी की है l
बकौल उर्वशी उनके व उनके संगठन द्वारा सदाकांत, सुनील कुमार, जावेद
उस्मानी, आलोक रंजन, राजीव रौतेला जैसे अनेकों भ्रष्ट आई.ए.एस.
अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने के कारण ही लखनऊ पुलिस और
प्रशासन ने उनसे सम्बंधित एक पत्रावली जानबूझकर गायब की है,पत्रावली
संख्या 738/2016 में जमकर कूटरचना करने का षड्यंत्र किया है, महिला
विरोधी मानसिकता के साथ उनको रात में गिरफ्तार कर उनका शारीरिक और मानसिक
उत्पीडन किया है और पुलिस अभिलेखों में भी कूटरचना की है l
उर्वशी ने इस मामले में लखनऊ की एस.एस.पी. मंजिल सैनी, पुलिस अधीक्षक नगर
उत्तरी, पुलिस अधीक्षक नगर पश्चिमी, क्षेत्राधिकारी
कैसरबाग,क्षेत्राधिकारी बाजारखाला, क्षेत्राधिकारी गोमतीनगर सत्यसेन,
पुलिस उपाधीक्षक प्रज्ञान लखनऊ,थानाध्यक्ष विभूतिखंड,थानाध्यक्ष महिला
थाना हजरतगंज,थानाध्यक्ष तालकटोरा,एसएसआई थाना विभूतिखंड अभिषेक तिवारी,
MSI थाना विभूतिखंड निदा अर्शी, अपर जिलाधिकारी ट्रान्स गोमती अशोक
कुमार, अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) संजय कुमार पाण्डेय आदि की भूमिकाएं
संदिग्ध बताते हुए उनकी गिरफ्तारी के प्रकरण से सम्बंधित पत्रावलियों और
अभिलेखों के फोरेंसिक प्रमाण, इन लोकसेवकों के सीयूजी मोबाइल्स की दिनांक
26-05-16 से अब तक की सीडीआर, इन लोकसेवकों के मोबाइल्स की 10 व 11 जुलाई
की सभी लोकेशन डिटेल्स, 10 व 11 जुलाई की थाना तालकटोरा,महिला थाना
हजरतगंज,थाना विभूतिखंड की जीडी, इन थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों की
रिकॉर्डिंग्स और उनके और उनके पति के मोबाइल की लोकेशन और सीडीआर के
प्रमाणों को सम्मिलित कर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है l
उर्वशी ने बताया कि उनके पति संजय शर्मा ने उनकी गैरकानूनी गिरफ्तारी के
प्रमाण के रूप में उनके घर आये पुलिसकर्मियों के फोटो,उनको घर से ले जाते
समय का वीडियो और एसएसपी के पीआरओ से हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग को बीते
10 जुलाई की रात में ही संयुक्त राष्ट्र संघ, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,
इलाहबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, यूपी के
राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्यसचिव,डीजीपी,एडीजी-कानून व्यवस्था, जिलाधिकारी
लखनऊ और लखनऊ के एसएसपी को भेजकर पुलिस द्वारा एक महिला को सूर्यास्त के
बाद छल और धोखाधड़ी द्वारा गिरफ्तार करने के अपराध की सूचना ई-मेल के
माध्यम से दी थी जिस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामला दर्ज कर जांच
शुरू कर दी है l
बकौल उर्वशी बीते 11 जुलाई की सायं 5 बजे के बाद उन्हें महिला थाना
हजरतगंज से सीधे न्यायालय अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) लाया गया जहाँ
संजय कुमार पाण्डेय ने उनसे थाना विभूतिखंड की सीआरपीसी धारा 151,107,116
की चालानी रिपोर्ट दिनांकित 10-07-16 की पत्रावली के आदेश पर हस्ताक्षर
कराकर 23-07-16 को उपस्थिति के लिए कहा था किन्तु दिनांक 23-07-16 को
उनके न्यायालय अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) पंहुचने पर पता चला कि यह
पत्रावली गायब थी और इस पत्रावली में दिनांक 11-07-16 को लगाए गए उनके
प्रपत्रों को थाना विभूतिखंड की सीआरपीसी धारा 107,116 की एक कूटरचित
पत्रावली संख्या 738/2016 में प्रयोग करने की आपराधिक साजिश की गयी थी l
बकौल उर्वशी पत्रावली संख्या 738/2016 बीते 26 मई से प्रचलित दिखाई
गयी है किन्तु इससे सम्बंधित कोई भी सम्मन न तो उन्हें प्राप्त कराया गया
है और न ही इस पत्रावली में लगा है l इस पत्रावली में उन्हें सूचित किये
बिना ही सूचित किये जाने की कूटरचना भी की गयी है और कूटरचना द्वारा ही
जमानतीय वारंट जारी करने के मनमाने आदेश भी जारी दिखाए गए हैं l उर्वशी
ने बताया कि इस पत्रावली को देखने से ही लगता है कि यह पत्रावली रातों
रात बनाई गयी है क्योंकि इस पत्रावली में ओवरराइटिंग भी की गयी है और
इसके आदेश कूटरचित हैं l बकौल उर्वशी इस पत्रावली की 26 मई की चालानी
रिपोर्ट में उनके साथ साथ एक अन्य पुरुष अशोक कुमार गोयल का भी नाम
दिखाया गया है लेकिन पुरुष होते हुए भी गोयल की गिरफ्तारी नहीं की गयी है
और उनको सीआरपीसी के प्राविधानों के प्रतिकूल रात 9 बजे बाद गिरफ्तार
किया गया जो लखनऊ पुलिस और प्रशासन की महिला विरोधी मानसिकता को भी सिद्ध
करता है l
साजिश, जालसाजी और पत्रावली गायब करने का संगीन आरोप l
लखनऊ/25 जुलाई 2016......
‘आरटीआई भवन’ का उद्घाटन करने के लिए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के लखनऊ
आगमन से एक दिन पहले बीते 10 जुलाई की देर रात लखनऊ पुलिस द्वारा
प्रतिष्ठित समाजसेविका उर्वशी शर्मा की गिरफ्तारी का मामला लखनऊ के पुलिस
और प्रशासनिक अधिकारियों के गले की फाँस बनता दिखाई दे रहा है l पुलिस
द्वारा झूठ बोलकर छल-प्रपंच द्वारा सीआरपीसी की धारा 46(4) के खिलाफ
उर्वशी को देर रात गिरफ्तार करने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
ने लखनऊ पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू की ही थी कि इसी बीच
उर्वशी ने लखनऊ के अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) संजय कुमार पाण्डेय पर
भी पुलिस के साथ मिलकर उनके खिलाफ महिला विरोधी मानसिकता के तहत आपराधिक
साजिश करने, गिरफ्तारी और जमानत के रिकॉर्ड में हेराफेरी करने,
पत्रावली गायब करने, कूटरचित पत्रावली तैयार करने जैसे संगीन आरोप लगाकर
यूपी के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक के साथ-साथ लखनऊ
के डीएम और एसएसपी को पत्र लिखकर मामले में उच्चस्तरीय जांच कराने और
पुलिस-प्रशासन के दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय
कार्यवाही करने और एफ.आई.आर. लिखाकर विधिक कार्यवाही कराने की मांग की है
l
समाजसेविका उर्वशी ने अपने पत्र में उनको व उनके परिवार को लखनऊ की
पुलिस व प्रशासन से गंभीर खतरा बताते हुए उनको व उनके परिवार को निःशुल्क
सुरक्षा देने और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर विधिविरुद्ध रीति से उनकी
स्वतंत्रता को वाधित करने और उनकी मानहानि करने के एवज में उनको 10 करोड़
रुपयों की क्षतिपूर्ति देने की मांग भी की है l
बकौल उर्वशी उनके व उनके संगठन द्वारा सदाकांत, सुनील कुमार, जावेद
उस्मानी, आलोक रंजन, राजीव रौतेला जैसे अनेकों भ्रष्ट आई.ए.एस.
अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने के कारण ही लखनऊ पुलिस और
प्रशासन ने उनसे सम्बंधित एक पत्रावली जानबूझकर गायब की है,पत्रावली
संख्या 738/2016 में जमकर कूटरचना करने का षड्यंत्र किया है, महिला
विरोधी मानसिकता के साथ उनको रात में गिरफ्तार कर उनका शारीरिक और मानसिक
उत्पीडन किया है और पुलिस अभिलेखों में भी कूटरचना की है l
उर्वशी ने इस मामले में लखनऊ की एस.एस.पी. मंजिल सैनी, पुलिस अधीक्षक नगर
उत्तरी, पुलिस अधीक्षक नगर पश्चिमी, क्षेत्राधिकारी
कैसरबाग,क्षेत्राधिकारी बाजारखाला, क्षेत्राधिकारी गोमतीनगर सत्यसेन,
पुलिस उपाधीक्षक प्रज्ञान लखनऊ,थानाध्यक्ष विभूतिखंड,थानाध्यक्ष महिला
थाना हजरतगंज,थानाध्यक्ष तालकटोरा,एसएसआई थाना विभूतिखंड अभिषेक तिवारी,
MSI थाना विभूतिखंड निदा अर्शी, अपर जिलाधिकारी ट्रान्स गोमती अशोक
कुमार, अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) संजय कुमार पाण्डेय आदि की भूमिकाएं
संदिग्ध बताते हुए उनकी गिरफ्तारी के प्रकरण से सम्बंधित पत्रावलियों और
अभिलेखों के फोरेंसिक प्रमाण, इन लोकसेवकों के सीयूजी मोबाइल्स की दिनांक
26-05-16 से अब तक की सीडीआर, इन लोकसेवकों के मोबाइल्स की 10 व 11 जुलाई
की सभी लोकेशन डिटेल्स, 10 व 11 जुलाई की थाना तालकटोरा,महिला थाना
हजरतगंज,थाना विभूतिखंड की जीडी, इन थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों की
रिकॉर्डिंग्स और उनके और उनके पति के मोबाइल की लोकेशन और सीडीआर के
प्रमाणों को सम्मिलित कर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है l
उर्वशी ने बताया कि उनके पति संजय शर्मा ने उनकी गैरकानूनी गिरफ्तारी के
प्रमाण के रूप में उनके घर आये पुलिसकर्मियों के फोटो,उनको घर से ले जाते
समय का वीडियो और एसएसपी के पीआरओ से हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग को बीते
10 जुलाई की रात में ही संयुक्त राष्ट्र संघ, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,
इलाहबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, यूपी के
राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्यसचिव,डीजीपी,एडीजी-कानून व्यवस्था, जिलाधिकारी
लखनऊ और लखनऊ के एसएसपी को भेजकर पुलिस द्वारा एक महिला को सूर्यास्त के
बाद छल और धोखाधड़ी द्वारा गिरफ्तार करने के अपराध की सूचना ई-मेल के
माध्यम से दी थी जिस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामला दर्ज कर जांच
शुरू कर दी है l
बकौल उर्वशी बीते 11 जुलाई की सायं 5 बजे के बाद उन्हें महिला थाना
हजरतगंज से सीधे न्यायालय अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) लाया गया जहाँ
संजय कुमार पाण्डेय ने उनसे थाना विभूतिखंड की सीआरपीसी धारा 151,107,116
की चालानी रिपोर्ट दिनांकित 10-07-16 की पत्रावली के आदेश पर हस्ताक्षर
कराकर 23-07-16 को उपस्थिति के लिए कहा था किन्तु दिनांक 23-07-16 को
उनके न्यायालय अपर नगर मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) पंहुचने पर पता चला कि यह
पत्रावली गायब थी और इस पत्रावली में दिनांक 11-07-16 को लगाए गए उनके
प्रपत्रों को थाना विभूतिखंड की सीआरपीसी धारा 107,116 की एक कूटरचित
पत्रावली संख्या 738/2016 में प्रयोग करने की आपराधिक साजिश की गयी थी l
बकौल उर्वशी पत्रावली संख्या 738/2016 बीते 26 मई से प्रचलित दिखाई
गयी है किन्तु इससे सम्बंधित कोई भी सम्मन न तो उन्हें प्राप्त कराया गया
है और न ही इस पत्रावली में लगा है l इस पत्रावली में उन्हें सूचित किये
बिना ही सूचित किये जाने की कूटरचना भी की गयी है और कूटरचना द्वारा ही
जमानतीय वारंट जारी करने के मनमाने आदेश भी जारी दिखाए गए हैं l उर्वशी
ने बताया कि इस पत्रावली को देखने से ही लगता है कि यह पत्रावली रातों
रात बनाई गयी है क्योंकि इस पत्रावली में ओवरराइटिंग भी की गयी है और
इसके आदेश कूटरचित हैं l बकौल उर्वशी इस पत्रावली की 26 मई की चालानी
रिपोर्ट में उनके साथ साथ एक अन्य पुरुष अशोक कुमार गोयल का भी नाम
दिखाया गया है लेकिन पुरुष होते हुए भी गोयल की गिरफ्तारी नहीं की गयी है
और उनको सीआरपीसी के प्राविधानों के प्रतिकूल रात 9 बजे बाद गिरफ्तार
किया गया जो लखनऊ पुलिस और प्रशासन की महिला विरोधी मानसिकता को भी सिद्ध
करता है l
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